विद्यार्थी जीवन, पढ़ाई, और मौज [राष्ट्रीय बेस्टसेलर]
कॉलेज, कैरियर, जवानी
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Book Details
Language
hindi
Print Length
224
Description
युवावस्था बहुत ही नाज़ुक समय होता है। यही समय निर्धारित कर देता है कि जीवन किस दिशा जाएगा। करियर की चुनौती, प्रेम और अन्य सम्बन्ध विषयक सवाल एक युवा मन को हमेशा झंझोड़ते रहते हैं। निर्णय करना बड़ा मुश्किल होता है। ज़्यादा सम्भावना यही रहती है कि निर्णय परिवार, समाज, शिक्षा और मीडिया से प्रभावित होकर लिए जाएँ, न कि अपनी समझ और बुद्धि से। ऐसे निर्णय तात्कालिक रूप से सुविधाजनक लग सकते हैं पर इससे जीवन बन्धनों में बन्धता रहता है।
आजकल का युवा, ख़ासतौर से भारत का, विभिन्न पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षणिक व मीडिया, व्यावसायिक, शारीरिक दुविधाएँ, प्रेम व रिश्ते तथा गहरे अस्तित्ववान जीवन सम्बन्धी प्रश्नों से जुड़ी बहुदा चुनौतियों का सामना करता है। युवा वर्ग एक ऐसी नाज़ुक स्थिति में है जहाँ से ज़िन्दगी में ग़लत मोड़ लेना काफ़ी आसान है।
आचार्य प्रशांत अपने एक अनोखे ही तरीक़े से युवा पीढ़ी की ऊर्जा और संघर्षों को संबोधित करते हैं। इस पुस्तक का यही उद्देश्य है कि आपको भी स्पष्टता मिले और अपने जीवन के निर्णय आप स्वयं अपनी सूझ-बूझ से कर सकें।
Index
1. विचलित क्यों हो जाता हूँ?2. ध्यान क्यों टूट जाता है?3. मैं किसी भी नियम पर चल क्यों नहीं पाता?4. जो जानता हूँ उस पर अमल क्यों नहीं कर पाता?5. पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?6. पढ़ाई के किसी विषय में रुचि न हो तो?
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युवावस्था बहुत ही नाज़ुक समय होता है। यही समय निर्धारित कर देता है कि जीवन किस दिशा जाएगा। करियर की चुनौती, प्रेम और अन्य सम्बन्ध विषयक सवाल एक युवा मन को हमेशा झंझोड़ते रहते हैं। निर्णय करना बड़ा मुश्किल होता है। ज़्यादा सम्भावना यही रहती है कि निर्णय परिवार, समाज, शिक्षा और मीडिया से प्रभावित होकर लिए जाएँ, न कि अपनी समझ और बुद्धि से। ऐसे निर्णय तात्कालिक रूप से सुविधाजनक लग सकते हैं पर इससे जीवन बन्धनों में बन्धता रहता है।
आजकल का युवा, ख़ासतौर से भारत का, विभिन्न पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षणिक व मीडिया, व्यावसायिक, शारीरिक दुविधाएँ, प्रेम व रिश्ते तथा गहरे अस्तित्ववान जीवन सम्बन्धी प्रश्नों से जुड़ी बहुदा चुनौतियों का सामना करता है। युवा वर्ग एक ऐसी नाज़ुक स्थिति में है जहाँ से ज़िन्दगी में ग़लत मोड़ लेना काफ़ी आसान है।
आचार्य प्रशांत अपने एक अनोखे ही तरीक़े से युवा पीढ़ी की ऊर्जा और संघर्षों को संबोधित करते हैं। इस पुस्तक का यही उद्देश्य है कि आपको भी स्पष्टता मिले और अपने जीवन के निर्णय आप स्वयं अपनी सूझ-बूझ से कर सकें।
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1. विचलित क्यों हो जाता हूँ?2. ध्यान क्यों टूट जाता है?3. मैं किसी भी नियम पर चल क्यों नहीं पाता?4. जो जानता हूँ उस पर अमल क्यों नहीं कर पाता?5. पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?6. पढ़ाई के किसी विषय में रुचि न हो तो?