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Book Details
Language
hindi
Print Length
224
Description
मनुष्य को ज्ञात सबसे प्राचीन शास्त्रों में वेद शीर्ष पर आते हैं और वेदान्त वैदिक सार का परम शिखर है। शास्त्रीय रूप से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता वेदान्त के तीन स्तम्भ माने जाते हैं, जिनको प्रस्थानत्रयी भी कहा जाता है। वेदान्त के सूत्र मात्र दार्शनिक चिन्तन का विषय नहीं हैं, वे हमारे जीवन की बात करते हैं। चाहे हमारी व्यक्तिगत परेशानियाॅं हों या वैश्विक समस्याऍं, वेदान्त हमें व्यक्ति और संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है। शताब्दियों से मनुष्य अनेक छोटे बड़े प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन उनमें केंद्रीय प्रश्न रहा है – 'मैं कौन हूँ?' इस मूल प्रश्न का अंतिम समाधान हमें वेदान्त में ही मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति के लिए पूरा जीवन यत्न करता है लेकिन और बंधनों में ही फँसता चला जाता है। वेदान्त की शिक्षा हमें बताती है कि हमारा मूल बंधन क्या है और उससे मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक संतों, विचारकों, कवियों, वैज्ञानिकों ने वेदान्त की महिमा को सराहा है और उससे प्रेरणा पायी है। भारत ने दुनिया को जो अमूल्य उपहार दिया है वो आत्मा है, और यह वेदान्त की ही देन है। आचार्य प्रशांत ने 'वेदान्त' में जीवन के गूढ़ रहस्य और उनसे जुड़ी हुई भ्रांतियों पर सरल शब्दों में विस्तृत व्याख्या की है।
Index
1. उपनिषद् क्या हैं?2. उपनिषदों का व्यापक महत्व3. वेदान्त ही सनातन धर्म है4. संस्कृति व धर्म5. वेदान्त के प्रमुख सूत्र6. १०८ उपनिषदों की सूची
मनुष्य को ज्ञात सबसे प्राचीन शास्त्रों में वेद शीर्ष पर आते हैं और वेदान्त वैदिक सार का परम शिखर है। शास्त्रीय रूप से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता वेदान्त के तीन स्तम्भ माने जाते हैं, जिनको प्रस्थानत्रयी भी कहा जाता है। वेदान्त के सूत्र मात्र दार्शनिक चिन्तन का विषय नहीं हैं, वे हमारे जीवन की बात करते हैं। चाहे हमारी व्यक्तिगत परेशानियाॅं हों या वैश्विक समस्याऍं, वेदान्त हमें व्यक्ति और संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है। शताब्दियों से मनुष्य अनेक छोटे बड़े प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन उनमें केंद्रीय प्रश्न रहा है – 'मैं कौन हूँ?' इस मूल प्रश्न का अंतिम समाधान हमें वेदान्त में ही मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति के लिए पूरा जीवन यत्न करता है लेकिन और बंधनों में ही फँसता चला जाता है। वेदान्त की शिक्षा हमें बताती है कि हमारा मूल बंधन क्या है और उससे मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक संतों, विचारकों, कवियों, वैज्ञानिकों ने वेदान्त की महिमा को सराहा है और उससे प्रेरणा पायी है। भारत ने दुनिया को जो अमूल्य उपहार दिया है वो आत्मा है, और यह वेदान्त की ही देन है। आचार्य प्रशांत ने 'वेदान्त' में जीवन के गूढ़ रहस्य और उनसे जुड़ी हुई भ्रांतियों पर सरल शब्दों में विस्तृत व्याख्या की है।
Index
1. उपनिषद् क्या हैं?2. उपनिषदों का व्यापक महत्व3. वेदान्त ही सनातन धर्म है4. संस्कृति व धर्म5. वेदान्त के प्रमुख सूत्र6. १०८ उपनिषदों की सूची