Now you can read eBook on our mobile app for the best reading experience View App
Quantity:
1
In stock
Free Delivery
Added to cart
GO TO CART
Add Paperback to Cart
Get Paperback Now
Book Details
Language
hindi
Print Length
195
Description
पैसा खूब कमाना धर्म हो सकता है और कभी महा-अधर्म भी हो सकता है, निर्भर इस पर करता है कि आपका मन पैसे का उपयोग क्या करेगा। पैसा न अच्छा है न बुरा है - आज़ादी अच्छी है। तो आज़ादी के लिए जितना पैसा चाहिए ज़रूर अर्जित करो, उससे ज़्यादा करोगे तो वही पैसा बंधन बन जाएगा।
जानें "पैसा कितना और क्यों?" आचार्य प्रशांत के साथ इस उपयोगी किताब में।
Index
1. जीवन की सफलता में पैसे का कितना महत्व है?2. क्या अधिक पैसा बंधन है?3. कितना पैसा ज़रूरी है?4. इन्हें तुम ज़रूरतें कहते हो?5. कितना कमायें, किसलिए कमायें?6. स्त्रियों के लिए कमाना ज़रूरी क्यों?
पैसा खूब कमाना धर्म हो सकता है और कभी महा-अधर्म भी हो सकता है, निर्भर इस पर करता है कि आपका मन पैसे का उपयोग क्या करेगा। पैसा न अच्छा है न बुरा है - आज़ादी अच्छी है। तो आज़ादी के लिए जितना पैसा चाहिए ज़रूर अर्जित करो, उससे ज़्यादा करोगे तो वही पैसा बंधन बन जाएगा।
जानें "पैसा कितना और क्यों?" आचार्य प्रशांत के साथ इस उपयोगी किताब में।
Index
1. जीवन की सफलता में पैसे का कितना महत्व है?2. क्या अधिक पैसा बंधन है?3. कितना पैसा ज़रूरी है?4. इन्हें तुम ज़रूरतें कहते हो?5. कितना कमायें, किसलिए कमायें?6. स्त्रियों के लिए कमाना ज़रूरी क्यों?