Combo books @99/book! 60+ combos available. FREE DELIVERY! 😎🔥
AP Books
आध्यात्मिक भ्रांतियाँ
प्रचलित भ्रांतियाँ व उनका निवारण
book
Already have eBook?
Login
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹51
₹250
Paperback
Out of Stock
72% Off
₹149
₹550
Now you can read eBook on our mobile app for the best reading experience View App
This book will be available soon. Please check again after a few days.
Book Details
Language
hindi
Print Length
304
Description
भाषा सीमित है, और इन सीमाओं का कटु बोध जितना आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते समय होता है उतना और कभी नहीं होता। प्राचीन काल से ही मनुष्य ने ईश्वरीय अनुकम्पा को शब्दों द्वारा दूसरों तक पहुँचाने के निरंतर प्रयास किये हैं, परन्तु सदी-दर-सदी संतों व रहस्यदर्शियों के सरलतम वचनों को भी मनुष्य ने अपने अहंकार की बलि चढ़ा दिया है।

यह पुस्तक आचार्य प्रशांत के शब्दयोग सत्रों की एक ऐसी श्रृंखला है जो मन से हर प्रकार की भ्रांतियों की सफ़ाई करती है। आचार्य जी के सरल वक्तव्यों के सामने सैद्धांतिक जटिलता कोई ठौर नहीं पाती। यह ग्रन्थ जहाँ एक तरफ़ सामान्यतः निजी कहे जाने वाले विषयों जैसे भावुकता, प्रेम, और कर्ता-भाव की बात करता है तो दूसरी ओर समय, सत्य, और आत्म जैसे दार्शनिक विषयों पर भी प्रकाश डालता है।

इस पुस्तक का उद्देश्य पाठक के मन को ज्ञान से भरना नहीं है। यह विरल ग्रन्थ तो मानवता को ज्ञान के उस तमाम बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए है जो अज्ञान से भी ज़्यादा खतरनाक है।

जिन्हें ज्ञान से मुक्ति चाहिए हो, वे ही श्रद्धापूर्वक इस ग्रंथ में प्रवेश करें।
Index
1. भावुकता हिंसा है, संवेदनशीलता करुणा 2. संवेदनशीलता, भावुकता नहीं 3. जो समय में है वो समय बर्बाद कर रहा है 4. काल और कालातीत 5. त्याग – छोड़ना नहीं है, जागना है 6. छूटता तब है जब पता भी न चले कि छूट गया
View all chapters
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light